Monday, February 13, 2012

हौसला बुलंद हो तो विकलांगता भी हारजाती हैं


'ईश्‍वर ने भले ही जन्म से अक्षय को विकलांग बनाया, मगर इस 10 वर्षीय बालक ने धैर्य के साथ सारी मुश्किलों पर विजय पाते हुए ज्ञान अजिर्त करने का मन बना लिया. परिणाम आज सबके सामने है. अक्षय मुंह में पेन पकड.कर न केवल तेजी से लिखता है, बल्कि बेहतर चित्र भी बनाता है. उसने कई चित्रकला स्पर्धाओं में पुरस्कार हासिल किए हैं. '

हम बात कर रहे हैं कि पांचपावली बारसे नगर निवासी अक्षय धमगाये की, जिसके जन्म से ही दोनों हाथ-पैर विकलांग हैं. पिता परसराम मजदूरी करते है. घर की आर्थिक स्थिति भी कमजोर है. उसके दो छोटे भाई भी हैं. अक्षय के जन्म से ही विकलांग पैदा होने पर माता-पिता बहुत निराश थे. आखिर बच्चे का जीवन कैसा होगा? कैसे स्कूल जाएगा ? जैसे कई सवाल उनके सामने खडे. थे. बचपन में अक्षय पूरी तरह मां-बाप पर ही निर्भर थे. चिंता थी केवल एक कि उनके बाद आखिर अक्षय का क्या होगा ? वह तो बैठ भी नहीं सकता था.

इसी दरमियान एक दिन सर्वशिक्षा अभियान के सर्वे के तहत एक टीचर को अक्षय की जानकारी मिली. टीचर ने घर पहुंचकर उसकी स्थिति जानकर भी स्कूल में दाखिल दिलाने को कहा. पालकों को समझ नहीं आ रहा था कि जो बच्चा ठीक से बैठ भी नहीं सकता उसे स्कूल में एडमिशन कैसे मिलेगा ? समस्याएं कई थीं. इसके बावजूद टीचर ने पालकों को हिम्मत बंधाई. इसके बाद अक्षय को बालाभाऊपेठ स्थित रमाबाई आंबेडकर मनपा स्कूल में दाखिला दिलाया गया. स्कूल में शिक्षकों ने अक्षय पर विशेष ध्यान दिया. इसके बाद पालकों ने अक्षय को मुंह में कलम पकड.कर अक्षर लिखाने के प्रयास शुरू किए. उसकी मानसिकता देख शिक्षक भी अचंभित थे. इसके बाद तो वह जोर-शोर से पढ.ाई में जुट गया. अब विकलांगता को मात देते हुए वह मुंह में पेन पकड.कर न केवल तेजी से लिखता है बल्कि अप्रतिम चित्र भी बनाने में माहिर हो गया है. उसने कक्षा तीसरी की परीक्षा 60 फीसदी अंक लेकर पास की, जबकि कई चित्रकला स्पर्धाओं में पुरस्कार भी जीते हैं.
हर रोज स्कूल पहुंचाने के लिए उसे एक सदस्य लगता है. जब कोई नहीं होता तो पिता ही स्कूल पहुंचा आते हैं. इस वर्ष अक्षय कक्षा चौथी में है. आश्‍चर्य है कि हाथ और पैरों से अपंग अक्षय दौड. तो नहीं सकता, लेकिन इस तेज रफ्तार दुनिया में पीछे भी नहीं रहना चाहता!

No comments:

Post a Comment