शहर में इन दिनों रसोई
गैस की डंके की चोट पर कालाबाजारी हो रही है. घरेलू गैस सिलेंडरों का जहां
एक ओर होटलों और अन्य जगहों पर वाणिज्यिक इस्तेमाल हो रहा है, वहीं, आम
उपभोक्ताओं को बुकिंग के बाद भी लंबे समय तक गैस सिलेंडर नहीं मिलने की
शिकायतें सुनने को मिल रही हैं. गैस कंपनियां भले ही यह दावा करें कि ठंड
के मौसम में मांग बढ.ने से सिलेंडरों की आपूर्ति का दबाव बढ. जाता है,
जिससे मामूली विलंब होता है. लेकिन गैस एजेंसियों के डिलीवरी ब्वॉय इसका
फायदा उठाते हुए बिना बुकिंग के ऊंचे दाम पर लोगों को सिलेंडरों की डिलीवरी
देते नजर आ रहे हैं. इससे जिला प्रशासन के खाद्यान्न व नागरी आपूर्ति
विभाग की भूमिका पर सवालिया निशान लगना लाजिमी है. विभाग के कार्रवाई के
प्रति सुस्त रवैये को लेकर लोग आश्चर्य व्यक्त कर रहे हैं. हालांकि,
सूत्रों की मानें तो इस विभाग में 60 निरीक्षकों की आवश्यकता है. लेकिन
वर्तमान में केवल 14 निरीक्षक हैं. इसके चलते भी काम करना मुश्किल हो गया
है.
गौरतलब है कि शहर में एचपीसीएल (एलपीजी), आईओसीएल (एलपीजी) और बीपीसीएल (एलपीजी) के लगभग 47 अधिकृत डीलर या कहें एजेंसियां हैं. इनमें एचपीसीएल की 24, आईओसीएल की 13 और बीपीसीएल की 10 एजेंसियां हैं. इन एजेंसियों में आम उपभोक्ता सिलेंडर की बुकिंग तो कराते हैं, लेकिन उन्हें लंबे वक्त तक सिलेंडर की डिलीवरी नहीं की जाती है. जबकि, एजेंसियों के डिलीवरी ब्वॉय जब गली-मोहल्लों में गाड.ी लेकर पहुंचते हैं, तो लोग खासतौर पर ऐसी महिलाएं, जिन्होंने बुकिंग तो कराई है, लेकिन उनके नाम से सिलेंडर आया नहीं है, डिलीवरी ब्वॉय तय कीमत (423.45 रु.) से अधिक रकम देकर सिलेंडर ले लेती हैं. ऐसे मामलों में डिलीवरी ब्वॉय भी उपभोक्ताओं को ऐसा करने के लिए उकसाते हैं. अधिक रकम न देने पर वे साफ कह देते हैं कि उनके नाम से सिलेंडर आने में अभी और वक्त लगेगा. मजबूरन लोगों को अधिक रकम देनी पड.ती है.
गौरतलब है कि शहर में एचपीसीएल (एलपीजी), आईओसीएल (एलपीजी) और बीपीसीएल (एलपीजी) के लगभग 47 अधिकृत डीलर या कहें एजेंसियां हैं. इनमें एचपीसीएल की 24, आईओसीएल की 13 और बीपीसीएल की 10 एजेंसियां हैं. इन एजेंसियों में आम उपभोक्ता सिलेंडर की बुकिंग तो कराते हैं, लेकिन उन्हें लंबे वक्त तक सिलेंडर की डिलीवरी नहीं की जाती है. जबकि, एजेंसियों के डिलीवरी ब्वॉय जब गली-मोहल्लों में गाड.ी लेकर पहुंचते हैं, तो लोग खासतौर पर ऐसी महिलाएं, जिन्होंने बुकिंग तो कराई है, लेकिन उनके नाम से सिलेंडर आया नहीं है, डिलीवरी ब्वॉय तय कीमत (423.45 रु.) से अधिक रकम देकर सिलेंडर ले लेती हैं. ऐसे मामलों में डिलीवरी ब्वॉय भी उपभोक्ताओं को ऐसा करने के लिए उकसाते हैं. अधिक रकम न देने पर वे साफ कह देते हैं कि उनके नाम से सिलेंडर आने में अभी और वक्त लगेगा. मजबूरन लोगों को अधिक रकम देनी पड.ती है.
दूसरी तरफ, ठंड के मौसम में नहाने का पानी गर्म करने और भोजन आदि पकाने में गैस अधिक लगती है. इससे सिलेंडरों की मांग बढ. जाती है और गैस डिपो में रिफिलिंग समय पर नहीं होने के चलते मांग और आपूर्ति का गणित गड.बड.ा जाता है. परिणामस्वरूप उपभोक्ताओं को जीवनावश्यक वस्तु कहलाने वाले एलपीजी सिलेंडरों के लिए लंबा इंतजार करना पड.ता है.
छह माह में 13 सिलेंडर जब्त
गैस सिलेंडरों की कालाबाजारी के बारे में पूछने पर नागरी आपूर्ति अधिकारी-2 रमेश आडे. ने कहा कि ऐसे मामलों में विभाग आवश्यक कदम उठाता है. जनशिकायतों के आधार पर गैस कंपनियों के साथ मिलकर संबंधित एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई की जाती है. छह महीने में ऐसी 33 कार्रवाइयां की गई. जिसमें 13 सिलेंडर जब्त किए गए. तीन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई. उन्होंने गैस एजेंसियों के पदाधिकारियों को हर महीने के आखिरी दिनों में सामूहिक रूप से छापामार कार्रवाई करने को कहा है.
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