निजी
कॉलेजों की तर्ज पर राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय
विद्यार्थियों को लूटने के मामले में जरा भी पीछे नहीं है. विवि की सीनेट
बैठक में तथ्यों के साथ हुए सनसनीखेज खुलासे से यह बात उजागर हुई है. इतना
ही नहीं यह भी स्पष्ट हुआ कि वर्ष 2007 में परीक्षा शुल्क में वृद्धि का
लिया गया फैसला भी गैरकानूनी है. खुद को बचाने के लिए बैठक में विवि
प्रशासन ने इसकी समीक्षा करने और तत्संबंधी सिफारिशों पर अमल की बात कहकर
इससे बच निकलने की कोशिश की. किंतु ई-सुविधा शुल्क , विद्यार्थी कल्याण
निधि, वैद्यकीय जांच निधि, विद्यार्थी कल्याण निधि के नाम पर की जा रही
वसूली तथा विद्यार्थियों से वसूली जा रही अन्य राशि का दूसरे कायरें पर किए
जा रहे इस्तेमाल का तथ्य सामने आया है. शुरू में प्रशासन ने नाना दलीले
देते हुए इनसे दामन छुड.ाने की कोशिश की. अंतत: तथ्य और आंकडे. सामने आने
के बाद सच्चाई को स्वीकार करना पडा विद्यार्थियों के साथ ठग
लंबे समय बाद शनिवार को राष्ट्रसंत तुकड.ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय की सीनेट बैठक में विद्यार्थियों की आवाज सदस्यों ने बुलंद की. यह पहला मौका है कि उन्होंने सवालों को उठाते हुए विद्यार्थियों के हितों में कई फैसले लेने के लिए विवि प्रशासन को मजबूर भी कर दिया. सदस्यों के आक्रमक रुख से आज बैठक के पहले दिन विद्यार्थियों की दृष्टि से तीन महत्वपूर्ण फैसले हुए. पहला यह कि वर्ष 2007 में परीक्षा शुल्क में अवैध ढंग से की गई वृद्धि के निर्णय की समीक्षा की जाएगी. साथ ही शुल्क कम करने की दिशा में फैसला किया जाएगा. दूसरा फैसला यह हुआ कि ई-सुविधा के नाम पर वर्ष 2005-06 से विद्यार्थियों से वसूल किए गए 2 करोड. 07 लाख 62 हजार रुपए ब्याज समेत विद्यार्थी कल्याण निधि में स्थानांतरित करने के संबंध में कार्यवाही शुरू की जाएगी. तीसरा सबसे महत्वपूर्ण फैसला यह कि विद्यार्थी कल्याण निधि, वैद्यकीय जांच निधि, विद्यार्थी कल्याण निधि का फायदा विद्यार्थियों को प्रदान करने के लिए नियमावली तय की जाएगी. इस संबंध में विद्यार्थियों के प्रलंबित प्रस्तावों का तत्काल निपटारा किया जाएगा. विद्यार्थियों के लिए विवि में सभी सुविधा युक्त हाईटेक मार्गदर्शन और सलाह केंद्र शुरू करने को लेकर रणनीति तय की जाएगी. इतना ही नहीं शुल्क लेकर भी विद्यार्थियों को सुविधा नहीं देने वाले महाराष्ट्र नॉलेज कार्पोरेशन लिमिटेड (एमकेसीएल) को कडे. शब्दों में फटकार लगाते हुए पत्र भी भेजा जाएगा. साथ ही चेतावनी दी जाएगी कि यदि एमकेसीएल ने सुविधाओं में सुधार नहीं किया तो करार खत्म करने पर विवि विचार करेगा.
कैसे हुआ खुलासा : सीनेट की बैठक के दौरान सबसे अहम खुलासा डॉ. कल्पना जाधव द्वारा पूछे गए सवाल के दौरान हुआ. उन्होंने परीक्षा शुल्क में वृद्धि किए जाने का मामला उठाया. जवाब में प्रशासन ने प्रबंधन परिषद के वर्ष 2007 के फैसले का हवाला देकर उसे टालने की कोशिश की. जवाब से नाराज वरिष्ठ सदस्य डॉ. राजेश भोयर ने एक अध्यादेश, नियम, परिनियमों में दिए गए प्रावधानों के उल्लंघन का हवाला दिया. इतना ही नहीं महाराष्ट्र विश्वविद्यालय अधिनियम 1994 की धारा 28 (3), 56 (2) तथा 28 (3) का जिक्र करते हुए इनके खुलकर उल्लंघन का सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि विवि प्रशासन ने अपने स्तर पर ही सारे फैसले लिए. आरोपों के बीच वित्त और लेखा अधिकारी पूरण मेश्राम ने वित्त और लेखा समिति के फैसले का हवाला दिया. कुलपति डॉ. सपकाल और बीसीयूडी निदेशक डॉ. अरविंद चौधरी ने अन्य प्राधिकरणों के फैसलों का हवाला दिया. किंतु सदस्यों ने जवाबों से असंतोष जताते हुए तथ्य सामने रखने की मांग की. तथ्य सामने आने के बाद यह खुलासा हुआ.
प्रबंधन परिषद में दलाल ! : राष्ट्रसंत तुकड.ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय की प्रबंधन परिषद में कुछ महाविद्यालयों के दलाल है, जिससे गैरकानूनी कार्य करने वाले महाविद्यालयों पर कार्रवाई होने में देरी हो रही है. सीनेट सदस्य समीर केने ने यह आरोप लगाकर सीनेट सभा में खलबली मचा दी. उनके इतना कहते ही बैठक में घमासान मच गया. 'दलाल शब्द वापस लों', इसे रिकार्ड से हटाने की मांग डॉ. बबन तायवाडे, अधिवक्ता अभिजीत वंजारी, डॉ. प्रमोद येवले, डॉ. केशव भांडारकर आदि सदस्यों ने की. सदस्यों के इस दबाव को देखते हुए कुलपति डॉ. विलास सपकाल ने शब्द निकालने के आदेश दिए. श्री केने ने बल्लारपुर के गुरुनानक विज्ञान महाविद्यालयि
लंबे समय बाद शनिवार को राष्ट्रसंत तुकड.ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय की सीनेट बैठक में विद्यार्थियों की आवाज सदस्यों ने बुलंद की. यह पहला मौका है कि उन्होंने सवालों को उठाते हुए विद्यार्थियों के हितों में कई फैसले लेने के लिए विवि प्रशासन को मजबूर भी कर दिया. सदस्यों के आक्रमक रुख से आज बैठक के पहले दिन विद्यार्थियों की दृष्टि से तीन महत्वपूर्ण फैसले हुए. पहला यह कि वर्ष 2007 में परीक्षा शुल्क में अवैध ढंग से की गई वृद्धि के निर्णय की समीक्षा की जाएगी. साथ ही शुल्क कम करने की दिशा में फैसला किया जाएगा. दूसरा फैसला यह हुआ कि ई-सुविधा के नाम पर वर्ष 2005-06 से विद्यार्थियों से वसूल किए गए 2 करोड. 07 लाख 62 हजार रुपए ब्याज समेत विद्यार्थी कल्याण निधि में स्थानांतरित करने के संबंध में कार्यवाही शुरू की जाएगी. तीसरा सबसे महत्वपूर्ण फैसला यह कि विद्यार्थी कल्याण निधि, वैद्यकीय जांच निधि, विद्यार्थी कल्याण निधि का फायदा विद्यार्थियों को प्रदान करने के लिए नियमावली तय की जाएगी. इस संबंध में विद्यार्थियों के प्रलंबित प्रस्तावों का तत्काल निपटारा किया जाएगा. विद्यार्थियों के लिए विवि में सभी सुविधा युक्त हाईटेक मार्गदर्शन और सलाह केंद्र शुरू करने को लेकर रणनीति तय की जाएगी. इतना ही नहीं शुल्क लेकर भी विद्यार्थियों को सुविधा नहीं देने वाले महाराष्ट्र नॉलेज कार्पोरेशन लिमिटेड (एमकेसीएल) को कडे. शब्दों में फटकार लगाते हुए पत्र भी भेजा जाएगा. साथ ही चेतावनी दी जाएगी कि यदि एमकेसीएल ने सुविधाओं में सुधार नहीं किया तो करार खत्म करने पर विवि विचार करेगा.
कैसे हुआ खुलासा : सीनेट की बैठक के दौरान सबसे अहम खुलासा डॉ. कल्पना जाधव द्वारा पूछे गए सवाल के दौरान हुआ. उन्होंने परीक्षा शुल्क में वृद्धि किए जाने का मामला उठाया. जवाब में प्रशासन ने प्रबंधन परिषद के वर्ष 2007 के फैसले का हवाला देकर उसे टालने की कोशिश की. जवाब से नाराज वरिष्ठ सदस्य डॉ. राजेश भोयर ने एक अध्यादेश, नियम, परिनियमों में दिए गए प्रावधानों के उल्लंघन का हवाला दिया. इतना ही नहीं महाराष्ट्र विश्वविद्यालय अधिनियम 1994 की धारा 28 (3), 56 (2) तथा 28 (3) का जिक्र करते हुए इनके खुलकर उल्लंघन का सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि विवि प्रशासन ने अपने स्तर पर ही सारे फैसले लिए. आरोपों के बीच वित्त और लेखा अधिकारी पूरण मेश्राम ने वित्त और लेखा समिति के फैसले का हवाला दिया. कुलपति डॉ. सपकाल और बीसीयूडी निदेशक डॉ. अरविंद चौधरी ने अन्य प्राधिकरणों के फैसलों का हवाला दिया. किंतु सदस्यों ने जवाबों से असंतोष जताते हुए तथ्य सामने रखने की मांग की. तथ्य सामने आने के बाद यह खुलासा हुआ.
प्रबंधन परिषद में दलाल ! : राष्ट्रसंत तुकड.ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय की प्रबंधन परिषद में कुछ महाविद्यालयों के दलाल है, जिससे गैरकानूनी कार्य करने वाले महाविद्यालयों पर कार्रवाई होने में देरी हो रही है. सीनेट सदस्य समीर केने ने यह आरोप लगाकर सीनेट सभा में खलबली मचा दी. उनके इतना कहते ही बैठक में घमासान मच गया. 'दलाल शब्द वापस लों', इसे रिकार्ड से हटाने की मांग डॉ. बबन तायवाडे, अधिवक्ता अभिजीत वंजारी, डॉ. प्रमोद येवले, डॉ. केशव भांडारकर आदि सदस्यों ने की. सदस्यों के इस दबाव को देखते हुए कुलपति डॉ. विलास सपकाल ने शब्द निकालने के आदेश दिए. श्री केने ने बल्लारपुर के गुरुनानक विज्ञान महाविद्यालयि
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