बारह वर्षीय सरिता मौत के मुंह से बच निकली. सरिता की
मां संयुक्ता अब भी मलबे में दबी हुई है. सरिता इस उम्मीद के साथ घटनास्थल
पर उदास बैठी है कि शायद उसकी मां मलबे से निकले और उसे छाती से लगा ले.
इसी वजह से सरिता ने अस्पताल में भर्ती होना भी मंजूर नहीं किया. लेकिन,
जैसे-जैसे समय गुजरता जा रहा है सरिता की उम्मीद भी दम तोड.ती नजर आ रही
है. हादसे के वक्त संयुक्ता का पति आनंद राहुल सब्जी खरीदने बाजार गया था.
घटना से कुछ ही देर पहले उसने संयुक्ता और सरिता के साथ चाय पी थी. सरिता
की आपबीती सुनने पर वहां उपस्थित लोगोंकी आंखें नम हो गई. सरिता के अनुसार
हादसे के वक्त वह अपनी मां के साथ कमरे के दरवाजे पर खड़ी थी. अचानक इमारत
ढह गई. मलबे में दोनों फंस गए. चूंकि सरिता के नीचे पिलर आ गया था, अत:
मलबे में फंसने के बावजूद उसे ऑक्सीजन मिलता रहा. इसी वजह से वह बच गई.
उसकी मां ने उसे कहा, मैं नहीं बच सकती, तू निकल जा. संयुक्ता ने ही सरिता
की कमर पकड.कर उसे आगे खिसकाया और अपना मोबाइल पकड.ा दिया. अंधेरा होता देख
सरिता घबरा रही थी. इसके बावजूद सरिता ने हिम्मत नहीं हारी और खिसकते,
सिसकते मलबे से खुद को बाहर निकाल लिया. सरिता की एक बड.ी बहन भी है. वह
सरिता की मौसी के पास उड़ीसा के एक गांव में रहती है. इस हादसे का पता लगने
के बाद आनंद के रिश्तेदार सरिता को अपने साथ ले जाने के लिए निकल चुके
हैं.
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