पालकों की नजर से बचकर देख रहे अश्लील सीडी
स्कूली विद्यार्थी अश्लील सीडी अर्थात 'पोर्न' के जाल में फंस रहे हैं. उपराजधानी के मुख्य चौराहों पर ब्लू फिल्मों की सीडी सरेआम बिक रही है. इन्हें खरीदने वालों में विद्यार्थियों की संख्या अधिक है. 'लोकमत समाचार' की ओर से शहर में चल रहे इस घिनौने व्यवसाय का जायजा लिया गया तो अनेक चौंकाने वाले तथ्य उजागर हुए.
पढ.ाई के नाम पर मां-बाप विद्यार्थियों को आसानी से लैपटॉप खरीदकर दे रहे है. विद्यार्थी इसी लैपटॉप का दुरुपयोग कर 'पोर्न' सीडी देखने में मशगूल है. बाहर से आने वाले विद्यार्थियों ने जहां-जहां किराए का मकान ले रखा है, वहां विद्यार्थियों की टोलियां एकत्रित होती है. फिर चलता है ब्लू फिल्म देखने का दौर. बाजार में रोजाना डेढ. लाख रुपए की अश्लील सीडी बेची जाती है. यहां रायपुर, अमरावती, बैतूल जैसे छोटे सेंटरों से बडे. पैमाने पर अश्लील सीडी आती है. नागपुर में सात-आठ थोक विक्रेता है. एक चौराहे पर रोजाना 100 अथवा उससे अधिक सीडी बेची जाती है. यह जानकारी एक विक्रेता ने ही 'लोकमत समाचार' की टीम को दी. एक साथ 500 से 600 सीडी खरीदनी होती है. फिर विक्रेता ही इन्हें खुदरा विक्रेताओं तक पहुंचाने की रिस्क उठाता है. फुटपाथ पर बैठने वाले खुदरा विक्रेताओं पर यदाकदा कार्रवाई कर पुलिस चुप हो जाती है. नागरिकों के बीच यह सवाल उठ रहा है कि पुलिस थोक विक्रेताओं पर कार्रवाई क्यों नहीं करती.
'रिस्क' के चलते आयात
अश्लील सीडी तैयार करने के लिए 10 से 11 रुपए का खर्च आता है. इसे तैयार करना भी काफी जोखिम का काम होता है. ऐसे में शहर में यह सीडी तैयार नहीं होती. विक्रेताओं का जोर भी इसे तैयार करने के स्थान पर आयात करने पर ही होता है.
ई-बैंकिंग का उपयोग
सीडी खरीद-बिक्री का गोरखधंधा इंटरनेट, ई-बैंकिंग की वजह से काफी आसान हो गया है. ऐसे में खरीददार की रिस्क काफी कम हो गई है. थोक विक्रेता के खाते में सीधे ई-बैंकिंग से राशि जमा करवा दी जाती है और निश्चित समय के बाद ब्लू फिल्म की सीडी यहां पहुंच जाती है.
लीडर करता है 'मैनेज'
फुटपाथ पर पांच-छह दुकानों का एक लीडर होता है. इसका काम फुटपाथों पर व्यवसाय करने वालों को संभावित परेशानी से बचाना होता है. यह प्रशासन के सूत्रों को 'मैनेज' कर सुनिश्चित करता है कि फुटपाथ पर बेचने वालों को कोई दिक्कत नहीं होगी. इस लीडर की वजह से ही पुलिस अक्सर खुदरा विक्रेताओं पर कोई कार्रवाई नहीं करती. यदि किसी विक्रेता पर कार्रवाई होती भी है तो संबंधित विक्रेता यह कहकर बच जाता है कि पोर्न सीडी, हिंदी, मराठी, अंग्रेजी फिल्मों की सीडी के साथ संभवत: गलती से आ गई है, जिससे हमारा कोई सरोकार नहीं.
खाली हाथ लौटी अकोला पुलिस
कुछ दिनों पूर्व अकोला पुलिस ने ब्लू फिल्म के विक्रेताओं को गिरफ्तार किया था. उसकी जांच के लिए एक टीम अमरावती गई. लेकिन वहां से इस टीम को दो र्मतबा खाली हाथ लौटना पड.ा. पुलिस के आला अधिकारियों ने इस बात का पता लगाने की कोशिश ही नहीं की कि आखिर यह टीम खाली हाथ कैसे लौटी?
नागपुर में तैयार होते हैं कवर
ब्लू फिल्में तीन श्रेणियों में उपलब्ध होती है. इसमें एक्स, डबल एक्स एवं ट्रिपल एक्स का समावेश् है. इन सभी के कवर का निर्माण नागपुर में ही किया जाता है. सूत्रों का दावा है कि इसके अलावा कवर का निर्माण रायपुर में भी किया जाता है.
ठोक-बजाकर ही होती है बिक्री
'लोकमत समाचार' टीम ने शहर के फुटपाथ, पान ठेलों एवं कुछ सीडी दुकानों में बेची जाने वाली ब्लू फिल्म की जानकारी ली तो पता चला कि ग्राहक के बारे में ठोक-बजाकर पुष्टि करने के बाद ही इसे बेचा जाता है. 10 से 11 रुपए में थोक में मिलने वाली सीडी ग्राहकों को 25 से 40 रुपए में बेची जाती है.
विद्यार्थी क्यों लेते हैं सीडी?
टीवी के कुछ चैनल्स पर लगातार अर्धनग्न अभिनेत्रियों के गीत दिखाए जाते है. इसे देखकर विद्यार्थियों के मन में भी अश्लीलता को लेकर उत्सुकता पैदा होती है. इसके अलावा वर्तमान में आ रहे मोबाइल सेट पर आसानी से ब्लू फिल्मों के क्लिपिंग्ज डाउनलोड की जा सकती है. चूंकि मोबाइल को परिवार में से कोई भी खोलकर देख सकता है, इसलिए विद्यार्थियों के बीच सीडी खरीदने का क्रेज है. फिर जिस विद्यार्थी के परिजन कुछ दिनों के लिए शहर से बाहर गए, उसके घर पर सभी दोस्त एकत्रित होकर सीडी आसानी से देख सकते है.
स्कूली विद्यार्थी अश्लील सीडी अर्थात 'पोर्न' के जाल में फंस रहे हैं. उपराजधानी के मुख्य चौराहों पर ब्लू फिल्मों की सीडी सरेआम बिक रही है. इन्हें खरीदने वालों में विद्यार्थियों की संख्या अधिक है. 'लोकमत समाचार' की ओर से शहर में चल रहे इस घिनौने व्यवसाय का जायजा लिया गया तो अनेक चौंकाने वाले तथ्य उजागर हुए.
पढ.ाई के नाम पर मां-बाप विद्यार्थियों को आसानी से लैपटॉप खरीदकर दे रहे है. विद्यार्थी इसी लैपटॉप का दुरुपयोग कर 'पोर्न' सीडी देखने में मशगूल है. बाहर से आने वाले विद्यार्थियों ने जहां-जहां किराए का मकान ले रखा है, वहां विद्यार्थियों की टोलियां एकत्रित होती है. फिर चलता है ब्लू फिल्म देखने का दौर. बाजार में रोजाना डेढ. लाख रुपए की अश्लील सीडी बेची जाती है. यहां रायपुर, अमरावती, बैतूल जैसे छोटे सेंटरों से बडे. पैमाने पर अश्लील सीडी आती है. नागपुर में सात-आठ थोक विक्रेता है. एक चौराहे पर रोजाना 100 अथवा उससे अधिक सीडी बेची जाती है. यह जानकारी एक विक्रेता ने ही 'लोकमत समाचार' की टीम को दी. एक साथ 500 से 600 सीडी खरीदनी होती है. फिर विक्रेता ही इन्हें खुदरा विक्रेताओं तक पहुंचाने की रिस्क उठाता है. फुटपाथ पर बैठने वाले खुदरा विक्रेताओं पर यदाकदा कार्रवाई कर पुलिस चुप हो जाती है. नागरिकों के बीच यह सवाल उठ रहा है कि पुलिस थोक विक्रेताओं पर कार्रवाई क्यों नहीं करती.
'रिस्क' के चलते आयात
अश्लील सीडी तैयार करने के लिए 10 से 11 रुपए का खर्च आता है. इसे तैयार करना भी काफी जोखिम का काम होता है. ऐसे में शहर में यह सीडी तैयार नहीं होती. विक्रेताओं का जोर भी इसे तैयार करने के स्थान पर आयात करने पर ही होता है.
ई-बैंकिंग का उपयोग
सीडी खरीद-बिक्री का गोरखधंधा इंटरनेट, ई-बैंकिंग की वजह से काफी आसान हो गया है. ऐसे में खरीददार की रिस्क काफी कम हो गई है. थोक विक्रेता के खाते में सीधे ई-बैंकिंग से राशि जमा करवा दी जाती है और निश्चित समय के बाद ब्लू फिल्म की सीडी यहां पहुंच जाती है.
लीडर करता है 'मैनेज'
फुटपाथ पर पांच-छह दुकानों का एक लीडर होता है. इसका काम फुटपाथों पर व्यवसाय करने वालों को संभावित परेशानी से बचाना होता है. यह प्रशासन के सूत्रों को 'मैनेज' कर सुनिश्चित करता है कि फुटपाथ पर बेचने वालों को कोई दिक्कत नहीं होगी. इस लीडर की वजह से ही पुलिस अक्सर खुदरा विक्रेताओं पर कोई कार्रवाई नहीं करती. यदि किसी विक्रेता पर कार्रवाई होती भी है तो संबंधित विक्रेता यह कहकर बच जाता है कि पोर्न सीडी, हिंदी, मराठी, अंग्रेजी फिल्मों की सीडी के साथ संभवत: गलती से आ गई है, जिससे हमारा कोई सरोकार नहीं.
खाली हाथ लौटी अकोला पुलिस
कुछ दिनों पूर्व अकोला पुलिस ने ब्लू फिल्म के विक्रेताओं को गिरफ्तार किया था. उसकी जांच के लिए एक टीम अमरावती गई. लेकिन वहां से इस टीम को दो र्मतबा खाली हाथ लौटना पड.ा. पुलिस के आला अधिकारियों ने इस बात का पता लगाने की कोशिश ही नहीं की कि आखिर यह टीम खाली हाथ कैसे लौटी?
नागपुर में तैयार होते हैं कवर
ब्लू फिल्में तीन श्रेणियों में उपलब्ध होती है. इसमें एक्स, डबल एक्स एवं ट्रिपल एक्स का समावेश् है. इन सभी के कवर का निर्माण नागपुर में ही किया जाता है. सूत्रों का दावा है कि इसके अलावा कवर का निर्माण रायपुर में भी किया जाता है.
ठोक-बजाकर ही होती है बिक्री
'लोकमत समाचार' टीम ने शहर के फुटपाथ, पान ठेलों एवं कुछ सीडी दुकानों में बेची जाने वाली ब्लू फिल्म की जानकारी ली तो पता चला कि ग्राहक के बारे में ठोक-बजाकर पुष्टि करने के बाद ही इसे बेचा जाता है. 10 से 11 रुपए में थोक में मिलने वाली सीडी ग्राहकों को 25 से 40 रुपए में बेची जाती है.
विद्यार्थी क्यों लेते हैं सीडी?
टीवी के कुछ चैनल्स पर लगातार अर्धनग्न अभिनेत्रियों के गीत दिखाए जाते है. इसे देखकर विद्यार्थियों के मन में भी अश्लीलता को लेकर उत्सुकता पैदा होती है. इसके अलावा वर्तमान में आ रहे मोबाइल सेट पर आसानी से ब्लू फिल्मों के क्लिपिंग्ज डाउनलोड की जा सकती है. चूंकि मोबाइल को परिवार में से कोई भी खोलकर देख सकता है, इसलिए विद्यार्थियों के बीच सीडी खरीदने का क्रेज है. फिर जिस विद्यार्थी के परिजन कुछ दिनों के लिए शहर से बाहर गए, उसके घर पर सभी दोस्त एकत्रित होकर सीडी आसानी से देख सकते है.
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